रात को सुला दिया , इतने जागे,
रौशनी के डब्बे ख़रीदे और , भागे!
छोटे छोटे डिब्बों मे कैद हो गए,
सीरत के काले , सूरत के सफ़ेद हो गए !
लाश के सहारे, तैर रहे थे,
वो खुद के सर पर, हाथ फेर रहे थे!
जमीं मे धंस गए, जमीन वाले,
और जल गया वो, पटाखों का सेठ!
चाँद पर बैठा हूँ , पूँछ लटकाकर ,
मे हूँ बन्दर , शायरी का !
बचा लिए थे उसके, खत,
अकेले मे, दिल से , जलाने को !
मन की बात , हो रही हे ,
बात मानी जा रही हे ... बेशर्मी ओढ़कर!
मरीख पर भले जिंदगी खोज लो ,
कमबख़्तो , बची जिंदगी मे जिंदगी खोज लो !
बस उठकर तू देख ले,
नाप ले जमीं ,
आसमां का रंग तो,
देख ले !
Neeraj Singh!
रौशनी के डब्बे ख़रीदे और , भागे!
छोटे छोटे डिब्बों मे कैद हो गए,
सीरत के काले , सूरत के सफ़ेद हो गए !
लाश के सहारे, तैर रहे थे,
वो खुद के सर पर, हाथ फेर रहे थे!
जमीं मे धंस गए, जमीन वाले,
और जल गया वो, पटाखों का सेठ!
चाँद पर बैठा हूँ , पूँछ लटकाकर ,
मे हूँ बन्दर , शायरी का !
बचा लिए थे उसके, खत,
अकेले मे, दिल से , जलाने को !
मन की बात , हो रही हे ,
बात मानी जा रही हे ... बेशर्मी ओढ़कर!
मरीख पर भले जिंदगी खोज लो ,
कमबख़्तो , बची जिंदगी मे जिंदगी खोज लो !
बस उठकर तू देख ले,
नाप ले जमीं ,
आसमां का रंग तो,
देख ले !
Neeraj Singh!
Superb
ReplyDeleteKafi samay Hindi Mai Kavita padhi. Bahut Anand aaya
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteचाँद पर बैठा हूँ... सर ये लाइन बहुत अच्छी लिखी...
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