Saturday 28 October 2023

अजीब से ख्याल ४

में उन सफ़ेद फूलों  मे रंग भर रहा हूँ 

जिनके पौधों की मिटटी कभी माली ने बदली ही नहीं !


शायद प्रकाश भी मैला हो गया होगा 

मेरी समझ तक पहुंचना आसान नहीं हे !


रात के कालीन पर कुछ बड़े सितारे भी पसरे हे 

ज़रूर कोई इसे धोकर लाया हे आज !


पहाड़ो पर भीड़ बढ़ गई हे सजदा करने के लिए 

पाप मुझमे हे या इस भीड़ मे ढूंढ़ना होगा !


सच कह रहा हूँ आईना देखकर 

उसका पता नहीं , उसके घर के सामने !


कमाल करते हे लोग मुझसे इश्क़ जता कर 

आँगन के सब पेड़ मैंने काट दिए नए मकान की खातिर !


आधा मेरी रूह का टुकड़ा बड़ा खुश हे आज 

बचा हुआ कब तक संभाल कर रखोगे !


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नीरज सिंह!
Neeraj Singh
neeraj.singh0901@gmail.com
9770909981

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