Tuesday 20 June 2017

जब भी उसकी बात हो जाती हे

जब भी उसकी बात हो जाती हे,
उससे मुलाकात हो जाती हे,
लिखता हूँ अंधेरों मे,
चांदनी रात हो जाती हे!

उसे दो घूँट लिखता हूँ ,
वो चुपके पास आती हे ,
कलमे मेरी चाहत के,
बेवक्त गुनगुनाती हे!

बिखरता हे समां ऐसा,
के स्याही फ़ैल जाती हे,
काजल की लकीरो मे,
लकीरें मुस्कुराती हे!

ख्यालों की ख्यालों से,
वो बंदिश हो सी जाती हे,
जिसे ना साज़ की परवाह,
ग़ज़ल वो याद आती हे!

तैरती हे वो कागज़ पर,
थोड़ा उड़ती जाती हे,
ख्वाबो की उस कश्ती की,
मर्रम्मत हो ही जाती हे!

जब भी उसकी बात ..... चांदनी रात हो जाती हे!

--
Neeraj Singh
नीरज सिंह

1 comment:

  1. वो मुलाकात की रात मुकम्मल हो जाती बात दोस्तों से होती और याद तेरी आती। बातों ही बातों में बरसात हो ही जाती दोस्त प्यार कहते ओर याद तेरी आती। काश तू मिलने न आती ख्वाबों तो मुलाकात हो ही जाती।

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